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क्या पुराने डीजल वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलना सही फैसला? जानें इसके बारे में सब कुछ...

रेट्रोफिटिंग में ICE गाड़ी के कई बड़े पार्ट्स को हटाया जाता है और उन्हें इलेक्ट्रिक पार्ट्स से बदला जाता है।

क्या पुराने डीजल वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलना सही फैसला? जानें इसके बारे में सब कुछ...

औसतन, 1kW लिथियम-आयन बैटरी की कीमत लगभग 14,000 रुपये होती है

ख़ास बातें
  • रेट्रोफिटिंग वाहनों के पार्ट्स को इलेक्ट्रिक पार्ट्स से बदला जाता है
  • लंबी रेंज के लिए 25kW से 30 kW के बैटरी पैक की आवश्यकता होती है
  • कार की रेट्रोफिटिंग के लिए करीब 7-8 लाख रुपये का खर्च आ सकता है
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भारत सरकार देश में मोबिलिटी के फुल इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए भरसक प्रयास में लगी है। इससे न केवल देश में वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि फॉसिल फ्यूल की खपत भी कम होगी। इसी प्रयास में पिछले साल दिल्ली सरकार ने 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को राजधानी की सड़कों पर चलने न देने की घोषणा की थी। हालांकि, दिसबंर 2021 में, सरकार ने वाहन मालिकों के लिए एक नई स्कीम लॉन्च की, जिसके तहत यदि 10 साल से पुराने डीजल वाहन मालिक अपनी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक में बदलते हैं, तो उन्हें राज्य की सड़कों पर दौड़ने की अनुमति मिलेगी। हालांकि अभी भी इलेक्ट्रिक रेट्रोफिट किट्स को लेकर लोगों के मन में अनगिनत सवाल हैं, जिसमें सबसे बड़ा सवाल है कि अपने डीजल वाहन को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने के लिए उन्हें कितने पैसे खर्च करने होंगे और रेट्रोफिटिंग कराने का सही और लीगन तरीका क्या है? यदि आपके मन में भी इस तरह के सवाल है, तो आपको इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना चाहिए।

सबसे पहले तो आपको डीजल गाड़ी को इलेक्ट्रिक में बदलने के इस प्रोसेस के बारे में बताते हैं, जिसे रेट्रोफिटिंग कहते हैं। रेट्रोफिटिंग में ICE गाड़ी के कई बड़े पार्ट्स को हटाया जाता है और उन्हें इलेक्ट्रिक पार्ट्स से बदला जाता है। Times of India को EV टेक्नोलॉजी फर्म Altigreen के फाउंडर और CEO डॉ. अमिताभ सरन ने बताया कि किसी गाड़ी को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए सबसे पहले उस कार के इंजन, फ्यूल टैंक, फ्यूल लाइन सहित कई अन्य पार्ट्स को इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी पैक और कुछ अन्य जरूरी यूनिट्स से बदला जाता है।

सरन ने पब्लिकेशन से कहा, "समस्या यहां से शुरू होती है कि आपको सबसे पहले फॉसिल फ्यूल पावर प्लांट से रिमोटली जुड़ी हर चीज को हटाना होगा। इसमें इंजन, फ्यूल लाइन, फ्यूल टैंक, फिल्टर, एसी यूनिट और भी बहुत कुछ शामिल हैं। यह सब हटाने के बाद आपको जो मिलता है वह है वाहन की चेसिस और केबिन, पहिए, ब्रेक और वाहन के ड्राइविंग से संबंधित कुछ अन्य चीजें।" उन्होंने आगे कहा, "एक बार जब आप वह सब हटा देते हैं, तो आप एक इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट को लगाना शुरू करना होता है, जिसमें एक मोटर, उस मोटर को चलाने के लिए एक कंट्रोलर, एक बहुत मजबूत तार हार्नेस, बैटरी पैक, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम सहित कई अन्य चीजें शामिल हैं। इसलिए आपको पुरानी कारों के हर मॉडल के लिए इस प्रक्रिया को कस्टमाइज करने के लिए तैयार रहना होगा, सुनिश्चित करें कि यह सुरक्षित हो और फिर वाहन को टाइप अप्रूवल के लिए जाना होगा और आरटीओ द्वारा ईवी के रूप में समर्थन प्राप्त करना होगा।"

अब, यदि कोई अपनी डीजल कार को रेट्रोफिट करवा भी देता है, तो अगला सवाल यह है कि वह इस प्रोसेस को लीगल तरीके से कैसे करे? सबसे पहले तो, कन्वर्जन कराने वाले व्यक्ति को अपने वाहन को सरकार द्वारा अनुमोदित रेट्रोफिटिंग फैसेलिटी में ही रेट्रोफिट कराना होगा। इन अधिकृत रेट्रोफिटर्स को रेट्रोफिट किट्स और उसे लगाने के प्रोसेस के लिए पहले स्टैंडर्ड होमोलॉगेशन प्रोसेस के तहत अप्रूवल लेना होता है। होमोलोगेशन यह प्रमाणित करने की प्रक्रिया है कि एक वाहन सड़क के योग्य है और सड़कों पर कानूनी रूप से चलने के लिए अधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करता है या नहीं। रिपोर्ट के अनुसार, मुश्किल हिस्सा यह है कि कार के हर मॉडल और इसके साथ संगत ईवी किट के लिए एक मानक होमोलॉगेशन प्रक्रिया अलग होगी। फिर यह भी मामला है कि होमोलोगेशन का खर्च कौन उठाता है।

अब बात आती है कि रेट्रोफिटिंग में कितनी लागत आती है और क्यो इस प्रोसेस पर पैसा लगाना एक अच्छा ऑप्शन है? TOI को सरन बताते हैं कि "औसतन, 1kW लिथियम-आयन बैटरी की कीमत लगभग 14,000 रुपये होती है। अपनी पुरानी एसयूवी को बदलने और अपने रेट्रोफिटेड ईवी से कम से कम 250 किमी की दूरी हासिल करने के इच्छुक लोगों को लगभग 25kW से 30 kW के बैटरी पैक की आवश्यकता होती है। इसलिए अकेले बैटरी पैक की कीमत कम से कम 3,50,000 रुपये होगी। इस पर यदि एसी यूनिट को चुना जाता है, तो इसकी कीमत करीब 1 लाख रुपये तक होगी। इसके अलावा, कन्वर्जन को पूरा करने के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिक मोटर और अन्य परिधीय 2.5-3 लाख रुपये तक जा सकते हैं। अब यह 10 साल पुराने वाहन पर एक महत्वपूर्ण निवेश है।"

भारत के पहले ARAI-प्रमाणित रेट्रोफिटर, ETrio के एमडी और सह-प्रवर्तक कल्याण सी कोरिमेरला (Kalyan C Korimerla) ने TOI Auto से कहा, "एक सामान्य छोटी कार के लिए किट की लागत लगभग INR 3-4 लाख होगी।" कोरिमेरला ने आगे कहा, "एक नई ईवी कार खरीदना ग्राहकों के नजरिए से हमेशा बेहतर होता है, खासकर वारंटी, विश्वसनीयता और फाइनेंस प्राप्त करने की क्षमता के मामले में। दूसरी ओर, कमर्शियल वाहन सेगमेंट के लिए रेट्रोफिटमेंट अधिक आर्थिक समझ में आता है, क्योंकि यह विशेष रूप से लॉजिस्टिक के लिए उपयोग किए जाने वाले कार्गो वाहनों के लिए जीवन का एक नई लीस और परफॉर्मेंस जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार पुराने वाहनों की रेट्रोफिटिंग की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने के अपने अंतिम चरण में है। यह पोर्टल वाहन मालिकों को देश भर में एआरएआई-अधिकृत रेट्रोफिटर्स के संपर्क में रहने के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान करेगा। पोर्टल में इन रेट्रोफिटेड इलेक्ट्रिक वाहनों के पुनरीक्षण, रजिस्ट्रेशन और समर्थन के प्रावधान भी होंगे।
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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी
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